शोभना सम्मान-2012

Thursday, May 24, 2012

कविता: वक़्त की आवाज़




राजपूतों तुम तक़दीर हो, कल के हिंदुस्तान की,

प्रताप के अरमान की, वीर कुंवर के बलिदान की,

देश तो आजाद हुआ, पर पूरे नहीं हुए वो सपने,

लुटेरे देश को लूट रहे हैं, खजाने भर रहे अपने, 

अब ये हो रहे मदहोश,इनपर नशा सत्ता का छाया,

भूल उसे भी जाते हैं, ताज इन्हें जिसने पहनाया,

धन दौलत के लालच में तौहीन न हो ईमान की,

राजपूतों तुम तक़दीर हो कल के हिंदुस्तान की,.........

बरसों की गुलामी झेली है,तब देखा सुख का मंजर,
अपनों पर ही अपनों का, तब चलता रहा है खंजर,
पहले हिन्दू मुस्लिम कहकर देश को फिर बाँट दिया,
जाति-जाति में आरक्षण देकर सीटों का बंदरबांट किया,
भ्रष्टाचारी देश को लूटा जमा किया विदेशी खजानों में,
गाड़कर धन दौलत रखे हैं, अरबों अपने तहखानों में,
यह कैसी आज़ादी है, शुक्र है भगवान की,
राजपूतों तुम तक़दीर हो .....................................
देखो राजपूतों वक़्त का, है बदला-बदला रंग,
कल तक जो दब्बू बने थे आज ये हुए दबंग,
वक़्त को अब तुम पहचानो इनपर नकेल लगाओ,
अपनी एकता व ताकत बल का इन्हें परिचय करवाओ,
गला न अब घोटने पाए हमारे ईमान और अरमान की,
राजपूतों तुम तक़दीर हो कल के हिंदुस्तान की................
पूर्वजों के बनाये खंडहरों पर तुम उज्जवल देश बनाओ,
जो बाकी रह गए अरमान, तुम उसे पूरा कर दिखलाओ,
तुम राम कृष्ण के वंशज हो कसम तुम्हे ईमान की,
राजपूतों तुम तक़दीर हो कल के हिंदुस्तान की.

लेखक- श्री रंजीत सिंह पंवार 

Tuesday, May 22, 2012

ऊंचाई


बिजलियो का भय त्यागे बिना कोई वृक्ष ऊंचा नहीं हो सकता...
पर्वत -शिखर की यात्रा मैं निरंतर चढाई ही नहीं होती उनमे उतराइया भी आती है खंड और खाईया भी आती है जीवन की असफलताऐ और ठोकरें भी इसी तरह प्रगती की लंबी यात्रा के अटूट अंग है.

जय जय वीर राजपूताना,,बुलंद करो राजपूताना ..कुंवर अमित सिंह 


जाग जाओ ओ सोने वालो

       नमो बुद्धाय जय भीम साथियों, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दलित महा पंचायत 25 मई 2012 को चारबाग रेलवे स्टेशन के सामने रवीन्द्रालय में होगी | बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर महासभा, उत्तर प्रदेश और अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के अखिल भारतीय परिसंघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस दलित महा पंचायत में परिसंघ के राष्ट्रीय चैयरमेन मा० डॉ० उदित राज, मा० चंद्रभान, मा० एच० एल० दुसाध भी शामिल होंगे | भारत के 30 करोड़ से ज्यादा दलितों को भागीदारी न देने, प्रमोशन में आरक्षण की बाधा को दूर करने हेतु संविधान संशोधन एवं निजी क्षेत्र, सेना और उच्च न्यायपालिका में आरक्षण तथा आरक्षण कानून हेतु आयोजित इस दलित महा पंचायत में आप सभी साथी सादर आमंत्रित है.

निवेदक - बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर महासभा, उत्तर प्रदेश, 
अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के अखिल भारतीय परिसंघ. 


मर जाओ डूबकर आज सभी सामान्य वर्ग  और दे देना जबाब अपनी आने वाली पीढी को कि  हम नपुंस क थे  कुछ  नहीं कर पाए तुम्हारे लिए और जो हमारे पूर्वज धरोहर छोड़ गये थे आज  हम  उसे  भी नहीं संभाल पाए और  आज  से  ही   कहना  छोड़  देना  कि   जय  राजपुताना, जय  परशुराम , जय महाराजा  अग्रसेन . अगर  जरा  सा  भी  राजपुताना  क्षत्रिय  खून  बचा  है  रगों  में  तो  उठो  दिखा  दो  आपनी  ताकत  आज तक  राजपूत  की  ताकत  का  कोई  आंकलन  नहीं  कर  पाया  हमारे  साथ  मंगल  पाण्डेय  और महाराज  अग्रसेन  की  भी  जरुरत  है  नहीं  तो  हमारे  लिए  नारा तैयार है  "तिलक  तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार" क्या यही  सुनने  के  लिए  ही  हमारे  पूर्वजो  ने  आपनी  गर्दने  कटवाई  थी जैसे  बाग  में  माली फूल  तोड़ता  है बताओ मुझे ..............??????

द्वारा-  श्री नीरज  तोमर

  

Friday, May 18, 2012

''क्षत्रिय- एकता''


कब तलक सोये रहोगे,सोने से क्या हासिल हुआ,

व्यर्थ अपने वक्त को खोने से क्या हासिल हुआ,,
शान और शौकत हमारी जो कमाई ''वीरों'' ने वो जा रही,
अब सिर्फ बैठे रहने से क्या हासिल हुआ,,
 सोती हुई राजपूती कौम को जगाना अब पड़ेगा,
गिर ना जाए गर्त में, ''वीरों'' उठाना अब पड़ेगा,,
बेड़ियाँ ''रुढिवादिता'' की पड़ी हुई जो कौम में,
उन सभी बेड़ियों को तोडना हमें अब पड़ेगा,,

संतान हो तुम उन ''वीरों'' की वीरता है जिनकी पहचान,
तेज से दमकता मुख और चमकती तलवार है उनका निशान,,
वीरता की श्रेणी में ''क्षत्रियों'' का पहला है नाम,
झुटला नहीं सकता जमाना, इथिहस है साक्षी प्रमाण,,

प्रहार कर सके ना कोई अपनी आन-बाण-शान पर,
जाग जाओ अब ऐ ''वीरो'' अपने ''महाराणा'' के आवहान पर,,
शिक्षा और संस्कारों की अलख जागते अब चलो,
राह से भटके ''वीरों'' को संग मिलते अब चलो,,

फूट पड़ने ना पाए अपनी कौम में अब कभी,
''क्षत्रिय एकता'' ऐसी करो के मिसाल दें हमारी सभी,,
कोई कर सके ना कौम का अपनी उपहास,
आओ ''एक'' होकर रचें हम अपना स्वर्णिम इतिहास,


जय महाराणा-एक होकर बुलंद करो राजपुताना....

----------------------मधु--अमित  सिंह

Tuesday, May 15, 2012

!!वीर!!



वीर चल चले लडने,
रणभूमी मे दुश्मन से भिडने!
अपने शौर्य के दम पर,
चल तु हरदम विजयपथ पर!
शुर है जो,वो ईतिहास मे अमर है,
कर तु भी कुछ के तेरा नाम अमर रहे!
जग को पुन: ,
सुसज्जित कर दे अपने शौर्य से!
वीर तु आगे बढ...
वीर चल चले लडने,
रणभूमी मे दुश्मन से भिडने!
ध्वज साथ लिये!
न झुकने दे उसे कभी,
युद्धभुमी मे!
चढाकर तीर धनुष्य पर,
दे अपने साहस का प्रमाण!
न तु डगमगा वीर कभी,
कर युद्ध घमासान!
धीर तु आगे बढ...
वीर चल चले लडने,
रणभूमी मे दुश्मन से भिडने!
देख ध्वज है शान से लहराता,
शुभाशीष देगी भारतमाता!
जोश भर सीने मे,
नही है कोई मजा घुट घुट कर जीने मे!
वीर चल चले लडने,
रणभूमी मे दुश्मन से भिडने!
शहीद हो जाएंगे अब जंग मे,
माँ की लाज बचाएंगे संग मे!
आज है दोनो कुरबान,
माँ की ममता,वीर तेरी जान!
वीर चल चले लडने,
रणभूमी मे दुश्मन से भिडने!
:-'अक्षय' कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया'जिन्दादिल'
15 मई 2012,1:20 A.M

क्षात्र धर्म और व्यापार जगत...


                     आज के युग मे क्षात्र धर्म की आवश्य़कता सख्त समझी जा सकती हे, ओर क्षात्र धर्म मे दिया गया व्यावहारीक ग्यान आज के परिपेक्स मे खरा उतरता हे! क्षात्र धर्म  मे जिन गुणॊ को मानव के जीवन मे उतारा जाता हे आज इन्ही गुणॊ की अगर सख्त आवश्यकता हे तो वो हे व्यापार जगत(corporate). मुनाफ़ा ओर ब्रण्ड बडाने के लिए जहा निजी कम्पनीया हर रोज नये - नये व्युह रचना(strategic planning) अपनाती हे वही उन कम्पनीयो मे काम कर रहे लोग हर रोज अपने नये दबाव के आगे नतमस्तक होकर रोजगार छॊड देते हे या फ़िर उनके काम पर असर साफ़ देखा जाता हे ओर उसी की वजह से पारिवारीक जीवन मे भी बदलाव आता हे!

                    आज के समय मे हर कम्पनीया मानव ससाधन(HR)की समस्या से परेशान हे. लोगो के पास वर्तमान मे दी गयी study अधुरी सी प्रतित होती हे इसका मुख्य कारण हे तो वो हे विपरीत हालोतो मे लड्ने के गुणॊ का अभाव! आज के जमाने मे वो लोग खुशनसीब होगे जो क्षात्र धर्म से वाकिफ़ हे या फ़िर उन्हे अपने मा-बाप ओर समाज के माध्यम से  क्षात्र धर्म गुण सस्कार रुपी मिले हो! आज इन्सान ज्यादा दबाव(pressure) नही झॆल पाता वही निजी कम्पनिया मे ज्यादा देखा जाता हे ओर यही बात क्षात्र धर्म मे बताई जाती हे कि विपरीत समय मे केसे अपने आप को सयमशाली(calm) रखे. व्यापार जगत मे लक्श्य(goal/target) का अपना खास महत्व हे ओर उसे पाने के लिए हर प्रकार की नीती(strategy) अपनायी जाती हे उसी प्रकार क्षात्र धर्म  मे मिशन को केसे प्राप्त किया जाये उन्ही गुणॊ को सिखाया जाता हे. वही व्यापार जगत मे सम्पर्क की अपनी एक खास मह्त्व होता हे उसी तरह क्षात्र धर्म यह बताता हे कि अपने से उपर ओर अपने से नीचे लोगो के साथ किन हालात मे केसे सवाद ओर या फ़िर बातचीत की जाये कि वो हमारी बात समझ पाये ओर हम उसकी बात को समझॆ.  क्षात्र धर्म मे यह बताया जाता हे कि अपने दुश्मन को केसे हराये ओर उसके लिए क्या व्युह रचना होनी चोहीये वोही बात आज हम ओर आप व्यापार जगत मे देखते हे कि एक कम्पनी अपने दुसरे(competitor) को पीछॆ रखने के लिए व्युह रचना बनाती हे. क्षात्र धर्म मे यह सिखाये जाता हे कि जो अपने साथ हो या फ़िर अपने पर भरोसा करने वाले लोग हे उन को केसे बनाये रखे वही बात व्यापार जग्त मे होती हे कि अपने ग्राह्क को क्या -क्या सुविधा दे जिससे कि उन का हमारे पर भरोसा बना रहे. व्यापार जगत मे देखा गया हे कि किसी भी काम को पुरा करने के लिए संगठित प्रयास(team worK) होना जरुरी हे वही क्षात्र धर्म मे एकता को खास महत्व दिया गया हे कि एकता मे रहकर केसे दुश्मन के ईरादे को नाकाम किया जा सकता हे! जो निडर हो वो हमेशा आगे रेह्ता हे उसी तरह जो निडर(fearless)  हो वही कम्पनी का आगे ले जा सकता हे.

                 इन सब गुणॊ को जिसने भी जाना या फ़िर जिसने भी अपने जीवन मे उतारा हे वो कभी पीछॆ नही रह सकता आज वो अगर किसी प्राईवेट जगह हो या फ़िर किसी राजनीती मे वो निस्न्देह देर-सवेर एक अच्छा किसी कम्पनी मे CEO,MD,या फ़िर businessman बनेगा या नेक नेता. क्षात्र धर्म मे बताये गुणॊ के साथ सत्य के पथ  पर चले वो शासक, राजा बने ओर इन सब गुणॊ वाला एक क्षत्रिय कह लाए ओर व्यापार जगत मे अधिनायक(leader)....

:-कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया

Sunday, May 13, 2012

शक्ति के पुजारियो अब उठो

शक्ती के पुजारीयो उठो,जागो,अपनी शक्तियोँ को पहचानोँ और विप्लव का शंखनाद करो!

!!ओम बलमुपस्व: !!
                                                            क्षत्रिय कहलाने मे हमे गर्व की अनुभूती होती है और ये अच्छी बात है किँतु कब तक हम अपने पुर्वजोँ के नाम का सहारा लेते रहेँगे?आज हमे अपने गौरवशाली ईतिहास पर गर्व है, किँतु वर्तमान का क्या?ईतिहास का संधी विच्छेद ईति+हास अर्थात जो हो चुका है!हमारे पुर्वजो ने सदा देश के लिए अपने प्राणोँ की आहुती दे दी!क्षत्रिय होने के नाते उन्होने अपना कर्म निभा लिया लेकीन हम?आज हम मे से अधिकांश लोग ईतिहास का अध्ययन सिर्फ मात्र डिँगे हाँकने के लिए करते है!कोई ईतिहास मे हमसे हुई भुलोँ से कुछ सबक नहीँ लेना चाहता!जो भुले हमने भुतकाल मे की है,उन्ही को आज हम वर्तमान मे दोहरा रहे है या फिर ऐसा कहने ही उचित है की हम आज भले ही शिक्षित हो पर हम अशिक्षित से कम नही है!क्योँकी जिस वर्ण के लोगो को अपने ईतिहास,परंपराए,रुढीयाँ,मान-मर्यादा,आत्म सम्मान,संस्कृती का गर्व एवं ग्यान न हो वह निश्चित रुप से मुर्दा है!क्षत्रियोँ के लिए कहा जाता है क्षतात त्राय ते ईति क्षत्रिय: अर्थात किसी भी प्रकार की क्षती से मुक्ती दिलाने वाला क्षत्रिय है!किँतु आज का क्षत्रिय मानो नामर्द के समान है!

                                                            राज पाठ चला गया पर अकड नही गयी!आज का क्षत्रिय मानोँ सिर्फ संपत्ति के पीछे भाग रहा है!जिसका प्रभाव आज की युवा पिढी पर ईस प्रकार पड रहा है के मानो गुलाब किचड मे खिल रहा हो!युवा मद्यपान मे व्यस्त है तो वही युवतीयाँ फैशन के नाम पर पाश्चात्य संस्कृती के आधीन होती जा रही है,जिसके दुशपरीणाम रोजाना अखबारो एवं दुरदर्शन पर समाचारोँ मे देखने को मिलते है!कोई बंदुक लेकर तो कोई तलवार लेकर फोटो खिचवाने मे व्यस्त है तो कोई उलटी सिधी हरकते करने मे!माना के हम शक्ती के पुजारी है किँतु ईसका यह मतलब नही की जा कर किसी पर भी हाथ सफा कर दिया!अपनी शक्तियोँ को,ताकद को,बल को समाज के कल्याण हेतू खर्च करो ना ही फाल्तुगिरी मे!मेरे क्षत्रिय वीरोँ और विरांगनाओ उठो,जागो,अपने कर्तव्योँ को जानो और जनहित मे योगदान देने अग्रेसर हो!बहुत से संगठन आज है किँतु ईसके बावजूद भी हम अपने आप को एकत्रित करने मे असफल रहे है!ईसके कई कारण है जैसे आपसी मनमुटाव,एक दुसरे की टांगे खिँचना और अत्यंत महत्वपुर्ण अहंकार है!अहंकार तो मानो हरदम नाक पर ही होता हो,लेकीन अहंकार है तो भी किस बात का, संपत्ती का या क्षत्रियोँ की आज की दुर्दशा का?हम कभी भी संपत्ती के गुलाम नही थे!याद करो,राष्ट्रगौरव महाराणा प्रताप सिँह जी को जिन्होने प्रजा हित हेतु अपना सर्वस्व त्याग कर बीहडोँ मे घास की रोटी खाकर अपना जीवन व्यथीत कीया किँतु संपत्ती का कोई मोह न रखा!आज हमे महाराणा प्रताप सिँह जी पर गर्व है, ये सिर्फ हमने अपने चेहरे पर पहना हुआ मुखौटा है और कुछ नही!असली गर्व तब कहलायेगा जब हम उनके पथप्रदर्शो पर,आदर्शो पर चलेंगे!हम सदैव से ही शांती,प्रेम भाव के प्रतीक रहे है,और ईसी के चलते समाज मे हम स्वर्ण माने जाते है,बेहतर है हम अपनी ईस पहचान को न मिटने दे!क्षत्रिय बंधुओ एवं भगिनीयोँ!

                                                          जागो,अपनी निँद्रा को त्यागो ओर विप्लव का शंखनाद करो!भारत हमारी जननी है,मातृभूभी है,उसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है किँतु प्रजातांत्रिक तरीको से!आर्मड फोर्सेस,पुलिस मे भर्ती हो,आइ.ए.एस बनो,आइ.पी.एस बनो और राष्ट्र की सेवा एवं रक्षा मे अपना योगदान दो!अपने ही राष्ट्र मे छुपे गद्दारोँ को मुँहतोड जवाब देने के लिए संघटित हो जाओ!पुर्वजोँ से प्रेरणा लेकर कायरता के भाव को त्यागो और अश्लीलता एवं चरीत्रहीनता फैलाने वाले दंड के पात्र राष्ट्रद्रोहीयोँ को दंडीत करो!कुतसित विचारो को त्यागकर क्रांतिकारीयोँ की भावनाओ को अपने हृदय मे पनपाओ और अपने भीतर के क्रांतीकारी का उदय करो!

                                                         श्री कृष्ण,श्री राम,वीर हनुमान,अर्जुन,सम्राट हेमु,राजा पौरव,बाप्पा रावल,सम्राट पूथ्विराज,महारानी पद्मिनी,हाडी रानी,रानी कर्मावती, महाराणा सांगा,महाराणा प्रताप,शिवाजी राजे भोँसले,शाहजी राजे भोँसले,अमर सिँह राठौड,बंदा सिँह बहादुर,बल्लु चांपावत,बलजी भुरजी शेखावत,मंगल पांडे,रानी लक्षमी बाई,तात्या टोपे,वीर कुँवर सिँह,वीर सावरकर,लोकमान्य टिलक,करतार सिँह सराबा,रामप्रसाद बिस्मिल,चंद्रशेखर आजाद,भगत सिँह,राजगुरु,सुखदेव,बटुकेश्वर दत्त,जतीन दास,चाफेकर बंधु,सुर्या सेन,कल्पना दत्त,मँडम कामा,नेताजी सुभाषचंद्र बोस,देश के सबसे युवा क्रांतीकारी वीर शिरीषकुमार और वीर लालदास(उम्र दस व बारह साल मात्र) के बलिदानोँ को याद रखकर,उनके पथ पर चलकर,आदर्श मानकर नई पीढी की रचना की जाएगी तब ही यह देश भारत वर्ष कहलायेगा!

                                                        अंत मे सभी आप्तेईष्टोँ से एक निवेदन करना चाहुँगा की ज्यादा से ज्यादा समय अपनी संतानो को दे एवं ऐतिहासिक कहानीयाँ,संस्कारो का ग्यान उन्हे बचपन से ही देते रहे तभी जाकर आज का गुमराह क्षत्रिय अपने कदमोँ को सुदृढ कर पाएगा!

                                                        निज स्वार्थ एवं माहन उद्देश्योँ की प्राप्ती एक साथ संभव नही,फैसला आपका निज स्वार्थ या महान उद्देश्य?

जय श्री राम!
हर हर महादेव!
जय भारतवर्ष!
जय आर्यव्रत!
जय क्षत्रिय!
जय क्षात्र धर्म!
जयोस्तु हिँदुराष्ट्रम!
जननीश्च जन्मभुमी स्वर्गदापी गरीयसी!

लेखक:-कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया
राष्ट्रहित सदा सर्वोपरी!
!!क्षत्रिय शक्ती!!

Thursday, May 10, 2012

युवाओं की खत्म होती जिज्ञासा राष्ट्र प्रगति बाधक



                                            भारत एक ऐसा राष्ट्र जिस पर जितने भी सम्राट हुए वे सारे युवा ही थे..उन्होने जितनी भी सिद्धियाँ प्राप्त की है वे सारी या तो अपनी किशोरावस्था या फिर अपने युवा जीवन मे ही हासिल की है!युवा किसी भी राष्ट्र की सबसे बडी ताकत और पुंजी होते है!ये किसी भी राष्ट्र के निर्धारण करता होते है!जिस राष्ट्र का युवा निठल्ला बैठा हो,उस राष्ट्र की अधोगती निश्चित होती है!ऐसी ही कुछ स्थिती आज हमारे भारत की है!ईस देश के युवाओँ के लिए सबसे बडा अभ्यास स्त्रोत ईस देश का गौरवशाली ईतिहास है!लेकीन आज ईतिहास का अध्ययन कर उससे प्रेरणा लेने के बजाए,आज का युवा उसपर मात्र सिर्फ डिँगे हाँकना जानता है!जिन वीर क्षत्रियोँ के वंशज हम है ईसका हमे अगर अभिमान है तो वो अभिमान कुकर्म एवं देश को लज्जाने वाले कृत्य करते वक्त कहा जाता है?

                                              हे मेरे युवा मित्रो,आज ईस राष्ट्र की जो दयनीय हालत है,ईसका जिम्मेदार आज के राजनेता एवं उनके नुमाईँदे है,जो ईस देश का शोषण कर रहे है!आज माँ भारती की जो हालत है उसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ दिल्ली के तख्त पर बैठा निजाम है! लेकीन उतनी ही जिम्मेदार आज की युवा पिढी है जिनके लिए आज राष्ट्र,देश,धर्म,संस्कृती कोई मायने नही रखती!
फिल्मी भांडो और क्रिकेटरोँ को अपना आदर्श मानने वाले आज के युवाओँ मे कैसे राष्ट्रभक्ती की भावना होगी?आज ईन्ही क्रिकेटरोँ और फिल्मी भांडो की वजह से देश निरंतर अपमानित हो रहा है!मानो के ऐसा प्रतित हो रहा है कि बहुत जल्द भारत नामक देश ही नही रहेगा!अगर किसी देश को मिटाना हो तो उस देश की संस्कृती को मिटा दौ यही संकल्पना लेकर इस देश के द्रोही आज इस राष्ट्र को मिटाने का षडयंत्र रच रही है जिसका काफी अच्छा प्रभाव भी पड चुका है!

                                         कभी अभिव्यक्ती के नाम पर तिरंगे को अपने जिस्म पर लपेटे दारु के नशे मे घुमकर तो कभी क्रिकेट के नाम पर अय्याशी परोसी जा रही है!ईन सभी कृत्योँ की वजह से आज की युवा पिढी पथभ्रष्ट और संस्कार विहीन हो रही है!
एक वक्त था जब फिल्मे बहुत ही साधारण एवं सादगीपुर्ण हुआ करती थी!लेकीन आज फिल्म लगी है यह सुनते ही मन मे हजारोँ प्रश्न उठने लगते है!कोई फिल्म जल्द रिलीज नही की जाती जो राष्ट्रियता का भाव,देशभक्ती दर्शाती हो!ईन्ही फिल्मो,फिल्मी भांडो (कलाकारो),क्रिकेटरोँ की वजह से देश की गरीमा भंग हो रही है और ईसका सबसे ज्यादा प्रभाव युवा पिढी पर हो रहा है!
ईसी के साथ साथ युवा वर्ग की राष्ट्र के प्रती जिग्यासा खत्म होती जा रही है,जिसका नुकसान आनेवाली भावी पिढियो को भुगतना पडेगा!आज हम चाहते तो है की बोस,सुरया सेन,कल्पना दत्ता,भगत,राजगुरु,सुखदेव,बिस्मिल,आजाद,सावरकर,टिलक,पांडे,शिवा,प्रताप,पृथ्वी जन्म ले पर अपने घर मे नही!ऐसा क्योँ?

भारत मे फिर भगवा ध्वज फिर भगवा ध्वज लेहराएगा
भारत की यह पुण्यभूमी फिर रामराज्य बन जाएगा ॥धृ॥
कौन बनेगा अर्जुन योद्धा कौन कृष्ण बन जाएगा
कौन भारत की डुबती नय्या आकर पार लगाएगा
धीर धरो ए हिन्दू वीरो वह दिन फिर भी आएगा
जब भारत का बच्चा बच्चामातृभक्त बन जाएगा ॥१॥
कौन वीर शिवाजी बनकर यवनोंके सिर फोडेगा
कौन वीर अभिमन्यू बनकर चक्रव्यूह को तोडेगा
मत घबराओ हिन्दु वीरो वह दिन फिर बन आएगा
जब भारत का बच्चा बच्चादेशभक्त बन जायेगा ॥२॥
चल चल करती गंगा-यमुना कहो क्या गुण ये लाती है
अपनी कलकल की वाणी से क्या संदेश सुनाती है
धीर धरो ये हिन्दू वीरोवह दिन फिर भी आएगा
जब भारत का बच्चा बच्चारामभक्त बन जायेगा ॥३॥

                                             अगर ईस देश का कोई उद्धार कर सकता है,तो वे सिर्फ युवा ही है!आज इस देश को नये पृथ्वी,प्रताप,आझाद,भगत,बिस्मिल की जरुरत है!आशा है की वे ईसी युवाओ के काफिले से निकलेँगे और इस राष्ट्र कौ पुन: चर्मोत्कर्ष पर स्थापीत करेँगे!

जय हिँद!
राष्ट्रहित सदा सर्वोपरी!
-कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया...

Wednesday, May 9, 2012

राजपुताना शान


राजपुताना शान जान से प्यारा है,
 बुलंद  कर ये संस्कार , जीने की राह हो प्रसस्त, कर सपथ कर सपथ  कर सपथ !!

चल पडे जिधर होके  प्रचंड , मस्त वीरों का झुण्ड ,  सीने में आग है , सामने तूफान है ,
कर फतह !!कर फतह!! कर फतह !!

तू निडर है , निपुण है  और भी रख हौसला , मंजिल तेरी कदमो में ही होगी, यही होगा  फैसला,
 कर प्रसस्त !! कर प्रसस्त !!कर प्रसस्त !!

राणा की हुँकार है, सिंह की दहाण  है,  धीर रख तू महान,  तेरा  भी वक्त  आएगा , फिर से चक्रव्यूह तोडा जायेगा कर सपथ !!कर सपथ!! कर सपथ !!

योगी की चाह है , तू एक मिसाल बन,  वीरता  की शान बन ,पूर्वजो की क़ुरबानी  ध्यान रख, प्रचंड जंग ज़ारी रख कर सपथ!! कर सपथ!! कर सपथ !!

राजपुताना शान जान  से प्यारा है,
बुलंद  कर ये संस्कार , जीने की राह हो प्रसस्त, कर सपथ कर सपथ  कर सपथ !!

Tuesday, May 8, 2012

‎''राणा की ज्वाला''


राजपूतों की ''ज्वाला'' कभी ठंडी नहीं होती,
अदम्य शूरवीरों की यही तो पहचान है होती,,
यदि यह ''ज्वाला'' राजपूतों में न होती,
तो भारत के इतिहास में ना होते अनमोल मोती,
राजपूतों की आन-बाण-शान, है ये ''ज्वाला'',
प्रताप और पृथ्वी जैसे वीरों की पहचान है ये ''ज्वाला''.
इतिहास के कुछ पन्नो पे हमको मलाल है,
जिनमें कुछ कायरों की मिसाल है,,
जिन्होंने राजपूती कौम का सर शर्म से झुकवाया,
''ज्वाला'' को आन पे रख दुश्मनों से हाथ मिलाया,,

अगर पृथ्वीराज में ये ''ज्वाला'' का शोला ना भड़कता,
तो बिना देखे उसका तीर सुलतान को ना लगता,
ये तो इसी राजपूती ''ज्वाला'' का कमाल था,
''चार बांस-चौबीस गज-आठ अंगुल''
दुरी से गौरी का किया काम तमाम था,,

हे राजपूत वीरों, ना ठंडी पड़ने देना कभी ये ''ज्वाला'',
क्योंकि असली राजपूतों की पहचान है ये ''ज्वाला'',
,राजपूतों की आन-बाण-शान, है ये ''ज्वाला'',
प्रताप और पृथ्वी जैसे वीरों की पहचान है ये ''ज्वाला'',
जय महाराणा,,बुलंद करो राजपुताना,
--मधु - अमित सिंह ..

हाँ मैं क्षत्रिय हूँ




हाँ !

में हूँ,
इस धरोहर 
का उत्तराधिकारी ! 
सींचा था मेरे पुरखों ने

जिसे अपने 
ही रक्त 
से. 


और !
बचाकर 
रखा था जिसे, 
लिखकर "क्षत्रिय" धरा पे, 
दुश्मन 
के रक्त 
से .



में
प्रहरी हूँ 
क्षत्रिय संस्कारों की 
इस अथाह दौलत का ,नीवं में 
जिसकी जौहर और शाका 
का पाषाण पिंघला 
कर डाला था 
मेरे अपनों
ने .



मुझे
फिर से 
पाना है उस रुतबे को 
और छिनना है वक़्त के जबड़ों से 
उस खोये सम्मान को
पाने को जिसे 
गुजारी थी उम्र 
युद्धों 
में 





Sunday, May 6, 2012

‎''कब तक''



आखिर कब तक हम अपने पूर्वजों द्वारा,


रोपित फसल ही खाते रहेंगे,


आखिर कब तक हम उनके अच्छे कार्यों की,

बस जय जय कार लगते रहेंगे,


महाराणा ,पृथ्वी,कुंवर सिंह, और बहुत से बड़े हैं नाम,

देश और कौम की खातिर,त्याग दिए जिन्होंने प्राण,

हाँ, उनकी जय जय कार लगाने में है हम सबकी शान
,
पर आज का ये युग अब फिर मांग रहा हमसे बलिदान,

आखिर कब तक आपस में लड़ लड़ कर ,

अपना सम्मान लुटवाते रहेंगे,

आखिर कब तक हम आपसी फूट के कारण,

अपना सर्वस्व गंवाते रहेंगे,,


अब तो जागो मेरे रणबांकुरों,तुम ऐसा कुछ कर जाओ,

उनकी जय जय कार करो,अपनी भी जय करवाओ,

जैसे हम उनके वंशज करते सम्मान से उनको याद,

उसी तरह सम्मान करें हमारा, सब इस जग से जाने के बाद ,


हम सब मिलकर ''अमित'' कर जाएँ ऐसा कारनामा,

जिस से सारे गर्व से बोलें ''जय जय वीर राजपूताना'' 

''बुलंद करो राजपूताना'' ''कुंवर अमित सिंह''

Saturday, May 5, 2012

चिराग

एक एक राजपूत वीर दिए की तरह बन जाओ,,
अँधेरा अपने आप दूर हो जाएगा हमारे समाज का...

''रात को जीत तो सकता नहीं लेकिन यह चिराग 
कम से कम रात का नुकसान बहुत करता है........''

जय जय वीर राजपूताना 

Wednesday, May 2, 2012

पथ

राजपूत साथियों,,
चला तो किसी भी तरह से जा सकता है ...मगर ऐसे पथ बना जाना जो अनुकरणीय हों ... जो सबके लिए श्रद्धेय हों ....जो अंततः जीवन के समीचीन आदर्शो की गहराई को फ़िर-फ़िर से आंदोलित कर जाएँ ....
जीना तो ऐसे भी है ..और वैसे भी ....और जीना कैसे है ....सिर्फ़ यही तो तय करना है हमको..जय जय वीर राजपूताना,,बुलंद करो राजपूताना.
(कुंवर अमित सिंह)

''राजपूती- चोला''


''आदित्य सिंह ''


समय के साथ -साथ जमाना बदल जाता है,
''खानपान'' और ''रहन-सहन'' पुराना बदल जाता है,
वक़्त की रफ़्तार में शख्स रंग बदल जाता है,
मत बदलो ''राजपूती-चोला'', जीने का ढंग बदल जाता है,,

''राजपूती-चोला'' पहन कर गर्व महसूस होता है,
अपने सर पर वीर पूर्वजों का असर महसूस होता है.
साफा बंधकर जब चलते हैं वीर राजपूत,
उनको  अपने बाने पर फकर महसूस होता है,,

ज़माने के साथ बदलना, नहीं कोई गलत बात,
लेकिन उन चीजों को न छोड़ो जो हैं हमारे पूर्वजों की सौगात,,
इस बात पर करना सभी गहन सोच-विचार,
हमारा आचरण,आवरण उचित हो और अच्छा रहे व्यवहार,,

अपने रीति रिवाजों को बिलकुल मत भुलाना,
रूढ़ियाँ हैं तोडनी पर अच्छे विचारों को है अपनाना,,
हमारे ये रीति रिवाज सितारों की तरह हैं दमकते ,
इसीलिए तो राजपूत सबसे अलग है चमकते,

हम ऐरे गैरे नहीं, ''राजपूत'' हैं, ''अमित''इसका रखो ध्यान,
अपने शानदार ''राजपूती-चोले'' का हमेशा करो सम्मान,,

-मधु -- अमित सिंह .

हौसला हो बुलंद !


जैसे सर पे श्री महाराणा जी का हाथ हो 
जैसे संस्कारो के लिए मरमिटने का जज़्बात हो 
जैसे आँखों में अपनों की चिंता की चिंगारी भड़के 
जैसे मान बचाना है इन सियासी दुश्मनों से लड़के 
जैसे राहों में उज्ज्वल भविष्य की कालिया खिले
जैसे नयी लहर विकास की बन दरिया बहे
जैसे तन्न -मन महान अतीत का गीत गाने लगे
जैसे सोई हुई हिम्मत अंगडाई ले
जैसे जीना ख़ुशी की कहानी लगे
जैसे खुल जाए रस्ते अब तक थे बंद
हौसला हो बुलंद
हौसला हो बुलंद
हौसला हो बुलंद
हौसला जैसे आस्मां से हो बुलंद
हौसला हो बुलंद
हौसला हो बुलंद
हौसला हो बुलंद
हौसला जैसे आस्मां से हो बुलंद
हौसला हो बुलंद
हौसला हो बुलंद !
(अखिल प्रताप सिंह )

राजपूती ध्वज


रणचंडी मुझे आशिष दे,
अरी दल को मार भगाऊँ मै, 
भारती का वीर सपूत बनु मै, 
अरी कोखोँ को दहलाऊँ मै,
पग पग रीपु का जमघट हो,
ईसका काल कहाउ मै,
जहाँ गद्दारोँ की ध्वजा गडी, 
वहाँ राजपूती ध्वज फहराऊं मै, 
रणचंडी मुझे आशिष दे,
जो गौरव फैला महाराणा का,
उसका मान रखु मै,
जो बलिदान दिए रणवीरोँ ने,
उनकी लाज बचाउ मै,
जो लुट रही शासन सत्ताओ मे,
ईनका अपयश फैलाउ मै,
गऊ,गंगा और गीता का,
वो युग स्वर्णिम लौटाउ मै,
रणचंडी मुझे आशिष तो दे..
जय जय माँ भारती!!
(कुँवर गोविँद सिँह राठौड)

Tuesday, May 1, 2012

स्वधर्म,संस्कृति

क्षत्रिय साथियों,,
जिस कौम को अपने स्वधर्म, संस्कृति,सभ्यता एवं वेशभूषा पर स्वाभिमान नहीं है, वह मानसिक रूप से गुलाम एवं मुर्दा कौम है !! 
यदि आप अपनी संस्कृति की सुरक्षा नहीं करेंगे तो दुसरे से तो इस बारे में आशा ही कैसे की जा सकती है 
....कुंवर अमित सिंह 
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