राजपूत समाज के विकास के लिए जरूरी है कि समाज मे बदलाव आए। गलत संस्कारो का खात्मा हो और अच्छे संस्कारो का निर्माण हो।
अपने समाज मे अच्छे लोग भी है तो बुरे लोग भी है और बुरे लोगो की बजाय अच्छे लोग ही ज्यदा है। पर जितने बुरे लोग है या बुराईया है । उनके पक्ष को कमजोर किया जाए । यह समाज मे सभी लोग प्रयास करेँ और संकल्प ले ।समाज के आचार को अच्छा बनाने के लिये यह जरूरी है समाज मे अच्छे विचारो का वातावरण बने।
विचारो को आचार तक पहुँचाने के लिए संस्कारो का पुल होना बहुत जरूरी है। आदमी जन्म से महान नही होता है ।वह भी संस्कारो की अग्नि मे तपता है तब ही महान बनता है।
संस्कार जीवन की संपदा है, संस्कार से ही हमारा जीवन सुंदर और संपन्न होता है। साहित्य,दर्शन,प्रवचन, वार्तालाप और वातावरण आदि संस्कार निर्माण के माध्यम बनते है। अच्छे समाज के लिए मनुष्य को प्रारंभ से ही अच्छा वातावरण और अच्छे संस्कार की आवश्यकता होती है।
चेहरे की सुंदरता जरुरी नही। चरित्र, व्यवहार ,विचार इनका सुंदर होना जरूरी है । जीवन धन दोलत से कभी सुंदर नही बनता जब संस्कारो की संपति आती है तभी वह सुंदर बनता है। अत: "संस्कारो की संपदा से ही जीवन सुँदर बनता है"
लेखक- श्री शेखर सिंह तंवर
गुडगाँव, हरियाणा
आपका यह प्रयास अच्छा लगा। धन्यवाद।
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