जय माता जी की
क्या हम राजपूत हैं.......
आज हम राजपूतो की हालत क्या हो गयी है इस विषय पर चिन्तन की सख्त जरूरत है. आज हम अपनी ठकुराईस के चलते बुरे हालातो में पहुँच चुके हैं हमारी शिक्षा ,हमारा रहन सहन ,खान पान और हमारी शान न जाने कहाँ धूमिल हो गयी है. सोचिये इसके जिम्मेदार कौन हैं.....?
क्या इस स्थिति के लिए हम स्वयं जिम्मेदार नही हैं हमारी एकता न होना और बेवजह की झूठी शान के कारण आज हम इस हालत में हैं की न जाने कितने राजपूत अपनी जमीने खो बैठे हैं यहाँ तक कि खाने के लिए दो वक़्त की रोटी के भी लाले पड़ गये हैं.....
फिर भी आज हम अपने समाज ,अपने आने वाली पीढ़ी के बारे में सोचना नही चाहते. जिन महान वीरो का हम गुणगान करते नही थकते उनकी एक बात का भी हमने ख्याल नही रखा या सदा के लिए दुर्भाग्य से नाता जोड़ लिया है.
आज जैसे हम अपने पूर्वजो का गुणगान करते हैं, आगे आने वाली हमारी नस्ल क्या हमें ऐसे ही याद करेगी नही कभी नही ...अब भी वक़्त है जागो...उठो...और एक हो फिर से परचम लहरा दो अपना ,,,,दिखा दो सबको कि इस देश पर राज़ करने के असली हक़दार हम ही हैं. आज वक़्त आ गया है कि हम अपने आप को मजबूत कर एक हो आगे बढे.
मैं समझती हूँ कि हमारे बिखराव के कारण ही आज हमारे ये हालात हैं जैसे मुस्लिमों में फतवा जारी कर दिया जाता है काश वैसे ही हमारे समाज में भी किसी ने राजपूतो के लिए किया होता तो कोई ऐसा नेत्रत्व हमारा भी होता जो पत्थर की लकीर समझा जाता.....काश ऐसा होता.....
ये दर्द हर राजपूत के दिल में है लेकिन आगे नही बढ़ना चाहते ...एक नही होना चाहते ...
कहावत है .....जो बछड़ा दूध पीने को खड़ा नही हुआ
उससे हल में चलने कि उम्मीद क्या करना
अगर आज भी आप नही उठे और पूरे समाज को साथ नही जोड़ा तो तरक्की कि बाते तो दूर हमारे हालत बाद से बदतर हो जायेंगे .......जय जय श्री राम....
बिल्कुल सच है।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर लेख लिखा दिल को छू गया हम बडी हम बडी के चक्र मे बरबाद हो रह फिर भी नही समझ रह है
ReplyDeleteVerry good sub aapke jese shoce to hemse koi nahi jit sakta
ReplyDeleteकरता कहने बहुत ही खूबसूरत बात सत्यता के साथ जय भवानी जय राजपूताना 🙏🙏
ReplyDeleteक्या
ReplyDeleteजय हो
ReplyDeleteबहोत बडिया
ReplyDeleteJay bhawani
ReplyDeleteJay bhavani
ReplyDeleteमैं बहुत प्रयास करता हु की हम सब मे एकता हो जाये लेकिन ऐसा नही हो पाता है राजपूतो को समझ ही नही आ रहा है की एकता में कितना बल है
ReplyDeleteइतिहास गवाह है कि राजपूत कभी संगठित नहीं हुए। लेकिन हमें अपने पूर्वजों से शिक्षा लेने की आवश्यकता है यदि हमारे पुर्वज संगठित होते तो सायद आज भारत में राजपूतों का ही शासन होता। अब भी बहुत कुछ नहीं बिगड़ा है यदि राजपूत संगठित हो जाये तो फिर इतिहास बदला जा सकता है।
ReplyDeleteMohan kumar shahi
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