वीर चल चले लडने,
रणभूमी मे दुश्मन से भिडने!
अपने शौर्य के दम पर,
चल तु हरदम विजयपथ पर!
शुर है जो,वो ईतिहास मे अमर है,
कर तु भी कुछ के तेरा नाम अमर रहे!
जग को पुन: ,
सुसज्जित कर दे अपने शौर्य से!
वीर तु आगे बढ...
वीर चल चले लडने,
रणभूमी मे दुश्मन से भिडने!
ध्वज साथ लिये!
न झुकने दे उसे कभी,
युद्धभुमी मे!
चढाकर तीर धनुष्य पर,
दे अपने साहस का प्रमाण!
न तु डगमगा वीर कभी,
कर युद्ध घमासान!
धीर तु आगे बढ...
वीर चल चले लडने,
रणभूमी मे दुश्मन से भिडने!
देख ध्वज है शान से लहराता,
शुभाशीष देगी भारतमाता!
जोश भर सीने मे,
नही है कोई मजा घुट घुट कर जीने मे!
वीर चल चले लडने,
रणभूमी मे दुश्मन से भिडने!
शहीद हो जाएंगे अब जंग मे,
माँ की लाज बचाएंगे संग मे!
आज है दोनो कुरबान,
माँ की ममता,वीर तेरी जान!
वीर चल चले लडने,
रणभूमी मे दुश्मन से भिडने!
:-'अक्षय' कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया'जिन्दादिल'
15 मई 2012,1:20 A.M
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