- राजपूत है तू इस माटी का सपूत है तू ,
शस्त्र है तेरा गहना,तुने खूब है इसको पहना,
लड़ा तू रण में ,बसा तू मण में
शीश उठा के , शीश है काटे
बैरी को तुने धुल चटाई
जण कि तुने जा बचाई
रण मण जण में अभिभूत है तू
राजपूत है तू इस माटी का सपूत है तू
मान का अपने ध्यान तू रखना
संस्कारो का सम्मान तू रखना
नाम का अपने अभिमान न रखना
अपनी एक पहचान तू रखना
वीरता न्याय शौर्य बलिदान का प्रतीक है तू ,
राजपूत है तू इस माटी का सपूत है तू ,
उबाल खून का कम न हो
चाहे अब कोई रण न हो
दिखा दे दुनिया को अपनी ताकत,
इस माटी पे अमिट कर्म की लकीर है तू
राजपूत है तू इस माटी का सपूत है तू ,
मान ले अपने "उत्तम" भाई की ये बात
तेरे आगे नहीं किसी की कोई औकात
त्याग दे कलंकित रंग-रलियाँ
संस्कारो का रंग भरता चल गलियाँ -गलियाँ
सतकर्म को अपनी ढाल बना ले
अपनी अमिट पहचान बना ले
इस माटी की अमिट तकदीर है तू
राजपूत है तू इस माटी का सपूत है तू ..
...कुंवर उत्तम सिंह शेखावत
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शोभना सम्मान-2012
Sunday, September 30, 2012
राजपूत है तू
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उत्तम रचना,,,
ReplyDeleteबुलंद करो राजपूताना संस्कार ...
धन्यवाद् दादा हुकुम
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