||¤|| राष्ट्रगौरव क्रांतिसुर्य महाराणा प्रताप सिँह जी ||¤||
९ मई १५४० को आपका जन्म हुआ!
सिसोदवंश को फिर एक कोहीनुर मिला!!
कुंभलगढ पर तोपोँ का गडगडाट हुआ!
महाराणी जावंताबाई और महाराणा उदय सिँहजी को एक रत्न मिला!!
नाम उसका प्रताप था!
नामानुरुप प्रखर उसका प्रताप था!!
१५७२ मे राज्यकारोभार सँभाला!
मुगलोँ को फिर दुविधा मे डाला!!
अकबर से हल्दिघाटी मे रण संग्राम किया!
अकबर का सेनापती मानसिँह अचंब हुआ!!
खाई आयुभर घास की रोटी!
ऐसा वो मेवाडी सिरमौर हुआ!!
गुलामी की जंजीरे नही थी उसे पसंद!
ईसी लिए किया तुर्को के खिलाफ रण प्रचंड!!
जिवन था उसका संघर्ष अखंड!
कहते है ईतिहास के खंड!!
था स्वामीभक्त चेतक उसका वहन!
जिसने बचाया प्रताप को कर घावोँ को सहन!!
क्रांती की ज्योत जीवन भर रखी जलाई!
की आखिरी दम तक राष्ट्र की भलाई!!
था उसका अद्भुत शौर्य!
था वो क्रांती का सुर्य!!
उसका था तेज समान पौरव!
तो फिर क्यो न कहे महाराणा प्रतापसिँहजी को राष्ट्रगौरव!!
राष्ट्रगौरव महाराणा प्रतापसिँहजी को शत शत नमन एवं भावपुर्ण आदरांजली...
:-'अक्षय' कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया 'जिन्दादिल'
९ मई १५४० को आपका जन्म हुआ!
सिसोदवंश को फिर एक कोहीनुर मिला!!
कुंभलगढ पर तोपोँ का गडगडाट हुआ!
महाराणी जावंताबाई और महाराणा उदय सिँहजी को एक रत्न मिला!!
नाम उसका प्रताप था!
नामानुरुप प्रखर उसका प्रताप था!!
१५७२ मे राज्यकारोभार सँभाला!
मुगलोँ को फिर दुविधा मे डाला!!
अकबर से हल्दिघाटी मे रण संग्राम किया!
अकबर का सेनापती मानसिँह अचंब हुआ!!
खाई आयुभर घास की रोटी!
ऐसा वो मेवाडी सिरमौर हुआ!!
गुलामी की जंजीरे नही थी उसे पसंद!
ईसी लिए किया तुर्को के खिलाफ रण प्रचंड!!
जिवन था उसका संघर्ष अखंड!
कहते है ईतिहास के खंड!!
था स्वामीभक्त चेतक उसका वहन!
जिसने बचाया प्रताप को कर घावोँ को सहन!!
क्रांती की ज्योत जीवन भर रखी जलाई!
की आखिरी दम तक राष्ट्र की भलाई!!
था उसका अद्भुत शौर्य!
था वो क्रांती का सुर्य!!
उसका था तेज समान पौरव!
तो फिर क्यो न कहे महाराणा प्रतापसिँहजी को राष्ट्रगौरव!!
राष्ट्रगौरव महाराणा प्रतापसिँहजी को शत शत नमन एवं भावपुर्ण आदरांजली...
:-'अक्षय' कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया 'जिन्दादिल'
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