शोभना सम्मान-2012

Tuesday, May 8, 2012

हाँ मैं क्षत्रिय हूँ




हाँ !

में हूँ,
इस धरोहर 
का उत्तराधिकारी ! 
सींचा था मेरे पुरखों ने

जिसे अपने 
ही रक्त 
से. 


और !
बचाकर 
रखा था जिसे, 
लिखकर "क्षत्रिय" धरा पे, 
दुश्मन 
के रक्त 
से .



में
प्रहरी हूँ 
क्षत्रिय संस्कारों की 
इस अथाह दौलत का ,नीवं में 
जिसकी जौहर और शाका 
का पाषाण पिंघला 
कर डाला था 
मेरे अपनों
ने .



मुझे
फिर से 
पाना है उस रुतबे को 
और छिनना है वक़्त के जबड़ों से 
उस खोये सम्मान को
पाने को जिसे 
गुजारी थी उम्र 
युद्धों 
में 





1 comment:

  1. मुझे
    फिर से
    पाना है उस रुतबे को
    और छिनना है वक़्त के जबड़ों से
    उस खोये सम्मान को
    पाने को जिसे
    गुजारी थी उम्र
    युद्धों
    में
    उत्तम संकल्प

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