राजपूत साथियों,,
चला तो किसी भी तरह से जा सकता है ...मगर ऐसे पथ बना जाना जो अनुकरणीय हों ... जो सबके लिए श्रद्धेय हों ....जो अंततः जीवन के समीचीन आदर्शो की गहराई को फ़िर-फ़िर से आंदोलित कर जाएँ ....
जीना तो ऐसे भी है ..और वैसे भी ....और जीना कैसे है ....सिर्फ़ यही तो तय करना है हमको..जय जय वीर राजपूताना,,बुलंद करो राजपूताना.
(कुंवर अमित सिंह)
चला तो किसी भी तरह से जा सकता है ...मगर ऐसे पथ बना जाना जो अनुकरणीय हों ... जो सबके लिए श्रद्धेय हों ....जो अंततः जीवन के समीचीन आदर्शो की गहराई को फ़िर-फ़िर से आंदोलित कर जाएँ ....
जीना तो ऐसे भी है ..और वैसे भी ....और जीना कैसे है ....सिर्फ़ यही तो तय करना है हमको..जय जय वीर राजपूताना,,बुलंद करो राजपूताना.
(कुंवर अमित सिंह)
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