शोभना सम्मान-2012

Thursday, May 24, 2012

कविता: वक़्त की आवाज़




राजपूतों तुम तक़दीर हो, कल के हिंदुस्तान की,

प्रताप के अरमान की, वीर कुंवर के बलिदान की,

देश तो आजाद हुआ, पर पूरे नहीं हुए वो सपने,

लुटेरे देश को लूट रहे हैं, खजाने भर रहे अपने, 

अब ये हो रहे मदहोश,इनपर नशा सत्ता का छाया,

भूल उसे भी जाते हैं, ताज इन्हें जिसने पहनाया,

धन दौलत के लालच में तौहीन न हो ईमान की,

राजपूतों तुम तक़दीर हो कल के हिंदुस्तान की,.........

बरसों की गुलामी झेली है,तब देखा सुख का मंजर,
अपनों पर ही अपनों का, तब चलता रहा है खंजर,
पहले हिन्दू मुस्लिम कहकर देश को फिर बाँट दिया,
जाति-जाति में आरक्षण देकर सीटों का बंदरबांट किया,
भ्रष्टाचारी देश को लूटा जमा किया विदेशी खजानों में,
गाड़कर धन दौलत रखे हैं, अरबों अपने तहखानों में,
यह कैसी आज़ादी है, शुक्र है भगवान की,
राजपूतों तुम तक़दीर हो .....................................
देखो राजपूतों वक़्त का, है बदला-बदला रंग,
कल तक जो दब्बू बने थे आज ये हुए दबंग,
वक़्त को अब तुम पहचानो इनपर नकेल लगाओ,
अपनी एकता व ताकत बल का इन्हें परिचय करवाओ,
गला न अब घोटने पाए हमारे ईमान और अरमान की,
राजपूतों तुम तक़दीर हो कल के हिंदुस्तान की................
पूर्वजों के बनाये खंडहरों पर तुम उज्जवल देश बनाओ,
जो बाकी रह गए अरमान, तुम उसे पूरा कर दिखलाओ,
तुम राम कृष्ण के वंशज हो कसम तुम्हे ईमान की,
राजपूतों तुम तक़दीर हो कल के हिंदुस्तान की.

लेखक- श्री रंजीत सिंह पंवार 

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