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क्षत्रिय एकता जिंदाबाद!
शोभना सम्मान-2012
Sunday, May 13, 2012
शक्ति के पुजारियो अब उठो
शक्ती के पुजारीयो उठो,जागो,अपनी शक्तियोँ को पहचानोँ और विप्लव का शंखनाद करो!
!!ओम बलमुपस्व: !!
क्षत्रिय कहलाने मे हमे गर्व
की अनुभूती होती है और ये अच्छी बात है किँतु कब तक हम अपने पुर्वजोँ के
नाम का सहारा लेते रहेँगे?आज हमे अपने गौरवशाली ईतिहास पर गर्व है, किँतु
वर्तमान का क्या?ईतिहास का संधी विच्छेद ईति+हास अर्थात जो हो चुका
है!हमारे पुर्वजो ने सदा देश के लिए अपने प्राणोँ की आहुती दे दी!क्षत्रिय
होने के नाते उन्होने अपना कर्म निभा लिया लेकीन हम?आज हम मे से अधिकांश
लोग ईतिहास का अध्ययन सिर्फ मात्र डिँगे हाँकने के लिए करते है!कोई ईतिहास
मे हमसे हुई भुलोँ से कुछ सबक नहीँ लेना चाहता!जो भुले हमने भुतकाल मे की
है,उन्ही को आज हम वर्तमान मे दोहरा रहे है या फिर ऐसा कहने ही उचित है की
हम आज भले ही शिक्षित हो पर हम अशिक्षित से कम नही है!क्योँकी जिस वर्ण के
लोगो को अपने ईतिहास,परंपराए,रुढीयाँ,मान-मर्यादा,आत्म सम्मान,संस्कृती का
गर्व एवं ग्यान न हो वह निश्चित रुप से मुर्दा है!क्षत्रियोँ के लिए कहा
जाता है क्षतात त्राय ते ईति क्षत्रिय: अर्थात किसी भी प्रकार की क्षती से
मुक्ती दिलाने वाला क्षत्रिय है!किँतु आज का क्षत्रिय मानो नामर्द के समान
है!
राज पाठ चला गया
पर अकड नही गयी!आज का क्षत्रिय मानोँ सिर्फ संपत्ति के पीछे भाग रहा
है!जिसका प्रभाव आज की युवा पिढी पर ईस प्रकार पड रहा है के मानो गुलाब
किचड मे खिल रहा हो!युवा मद्यपान मे व्यस्त है तो वही युवतीयाँ फैशन के नाम
पर पाश्चात्य संस्कृती के आधीन होती जा रही है,जिसके दुशपरीणाम रोजाना
अखबारो एवं दुरदर्शन पर समाचारोँ मे देखने को मिलते है!कोई बंदुक लेकर तो
कोई तलवार लेकर फोटो खिचवाने मे व्यस्त है तो कोई उलटी सिधी हरकते करने
मे!माना के हम शक्ती के पुजारी है किँतु ईसका यह मतलब नही की जा कर किसी पर
भी हाथ सफा कर दिया!अपनी शक्तियोँ को,ताकद को,बल को समाज के कल्याण हेतू
खर्च करो ना ही फाल्तुगिरी मे!मेरे क्षत्रिय वीरोँ और विरांगनाओ
उठो,जागो,अपने कर्तव्योँ को जानो और जनहित मे योगदान देने अग्रेसर हो!बहुत
से संगठन आज है किँतु ईसके बावजूद भी हम अपने आप को एकत्रित करने मे असफल
रहे है!ईसके कई कारण है जैसे आपसी मनमुटाव,एक दुसरे की टांगे खिँचना और
अत्यंत महत्वपुर्ण अहंकार है!अहंकार तो मानो हरदम नाक पर ही होता हो,लेकीन
अहंकार है तो भी किस बात का, संपत्ती का या क्षत्रियोँ की आज की दुर्दशा
का?हम कभी भी संपत्ती के गुलाम नही थे!याद करो,राष्ट्रगौरव महाराणा प्रताप
सिँह जी को जिन्होने प्रजा हित हेतु अपना सर्वस्व त्याग कर बीहडोँ मे घास
की रोटी खाकर अपना जीवन व्यथीत कीया किँतु संपत्ती का कोई मोह न रखा!आज हमे
महाराणा प्रताप सिँह जी पर गर्व है, ये सिर्फ हमने अपने चेहरे पर पहना हुआ
मुखौटा है और कुछ नही!असली गर्व तब कहलायेगा जब हम उनके पथप्रदर्शो
पर,आदर्शो पर चलेंगे!हम सदैव से ही शांती,प्रेम भाव के प्रतीक रहे है,और
ईसी के चलते समाज मे हम स्वर्ण माने जाते है,बेहतर है हम अपनी ईस पहचान को न
मिटने दे!क्षत्रिय बंधुओ एवं भगिनीयोँ!
जागो,अपनी निँद्रा को त्यागो ओर विप्लव का शंखनाद
करो!भारत हमारी जननी है,मातृभूभी है,उसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है
किँतु प्रजातांत्रिक तरीको से!आर्मड फोर्सेस,पुलिस मे भर्ती हो,आइ.ए.एस
बनो,आइ.पी.एस बनो और राष्ट्र की सेवा एवं रक्षा मे अपना योगदान दो!अपने ही
राष्ट्र मे छुपे गद्दारोँ को मुँहतोड जवाब देने के लिए संघटित हो
जाओ!पुर्वजोँ से प्रेरणा लेकर कायरता के भाव को त्यागो और अश्लीलता एवं
चरीत्रहीनता फैलाने वाले दंड के पात्र राष्ट्रद्रोहीयोँ को दंडीत
करो!कुतसित विचारो को त्यागकर क्रांतिकारीयोँ की भावनाओ को अपने हृदय मे
पनपाओ और अपने भीतर के क्रांतीकारी का उदय करो!
श्री कृष्ण,श्री राम,वीर हनुमान,अर्जुन,सम्राट
हेमु,राजा पौरव,बाप्पा रावल,सम्राट पूथ्विराज,महारानी पद्मिनी,हाडी
रानी,रानी कर्मावती, महाराणा सांगा,महाराणा प्रताप,शिवाजी राजे
भोँसले,शाहजी राजे भोँसले,अमर सिँह राठौड,बंदा सिँह बहादुर,बल्लु
चांपावत,बलजी भुरजी शेखावत,मंगल पांडे,रानी लक्षमी बाई,तात्या टोपे,वीर
कुँवर सिँह,वीर सावरकर,लोकमान्य टिलक,करतार सिँह सराबा,रामप्रसाद
बिस्मिल,चंद्रशेखर आजाद,भगत सिँह,राजगुरु,सुखदेव,बटुकेश्वर दत्त,जतीन
दास,चाफेकर बंधु,सुर्या सेन,कल्पना दत्त,मँडम कामा,नेताजी सुभाषचंद्र
बोस,देश के सबसे युवा क्रांतीकारी वीर शिरीषकुमार और वीर लालदास(उम्र दस व
बारह साल मात्र) के बलिदानोँ को याद रखकर,उनके पथ पर चलकर,आदर्श मानकर नई
पीढी की रचना की जाएगी तब ही यह देश भारत वर्ष कहलायेगा!
अंत मे सभी आप्तेईष्टोँ से एक निवेदन करना चाहुँगा की ज्यादा से ज्यादा
समय अपनी संतानो को दे एवं ऐतिहासिक कहानीयाँ,संस्कारो का ग्यान उन्हे बचपन
से ही देते रहे तभी जाकर आज का गुमराह क्षत्रिय अपने कदमोँ को सुदृढ कर
पाएगा!
निज स्वार्थ एवं
माहन उद्देश्योँ की प्राप्ती एक साथ संभव नही,फैसला आपका निज स्वार्थ या
महान उद्देश्य?
जय श्री राम! हर हर महादेव! जय भारतवर्ष! जय आर्यव्रत! जय क्षत्रिय! जय क्षात्र धर्म! जयोस्तु हिँदुराष्ट्रम! जननीश्च जन्मभुमी स्वर्गदापी गरीयसी!
लेखक:-कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया राष्ट्रहित सदा सर्वोपरी! !!क्षत्रिय शक्ती!!
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