मैं अपने कुछ भाइयों को हमेशा जोश में देखता हूँ,मारकाट की बातें करते हुए,मैं मानता हूँ के ये हमारे राजपूती खून का नसैर्गिक स्वाभाव है की वो उबाल जल्दी लेता है, लेकिन अब हमें ये हकीकत स्वीकारनी चाहिए की हमारे राजे रजवाड़े अब नहीं रहे, जो रह गए हैं उनमे से अधिकाँश को राजपूत समाज की नहीं सिर्फ अपने वंश के भलाई की चिंता सताती है,, अधिकांश राजपूतों के पास ज़मीनें भी नहीं रही जो हमने शराब और शबाब के चक्कर में गंवा दी ,,लेकिन अब भी मैं देखता हूँ की रिवाज के नाम पर अभी भी शराब का उपयोग कर रहा है कई जगह हमारा समाज ,, अब आप लोग सब देख रहे हो की ऐसी जातियां राज कर रही हैं जो कभी आपके घरों में मजदूरी किया करते थे. अब आप किसी के राज्य पर हथियार लेकर चढ़ाई नहीं कर सकते,
हमें अपनी विद्या शक्ति से ही इन लोगों को परास्त करना है, हाँ कुछ सुधार अवश्य आया है हमारे समाज की सोच में लेकिन अभी भी और सुधार की आवक्षक्यता है ,आप सबकी कोशिश ये होनी चाहिए की आप ऐसे पदों पर पहुचने का प्रयत्न करें की दोबारा हमारा राज आ सके.कुछ प्रतिभाशाली राजपूत भाइयों और बहनों को राजनीति में भी अपनी धाक जमानी चाहिए,और अगर वो सफल होते हैं तो समाज के प्रति अपने कर्त्तव्य को न भूलें,,,मदिरा त्याग करें,,दहेज़ प्रथा त्याग करें,,क्ष्त्रानियों को आगे बढायें,,जय क्षात्र धरम,,जय जय वीर राजपूताना..आओ बुलंद करें राजपूताना...
कुंवर अमित सिंह
जय राजपूताना....
ReplyDeleteजय राजपूताना....
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ReplyDeleteठाकुर सचिन राठौड़
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