मेरी प्रतिग्या
अपुर्ण युद्धो को आज पुर्ण करु,
आज मै रण करु..,
नया एक प्रण करु..,
मै दिव्य गुणोँ से ओतप्रोत राजपुत हुँ!
अपनी माँ का मैँ सच्चा सपुत हुँ!
आज मै रण करु,
नया एक प्रण करु..,
कर प्रण यह यल्गार भरुँ,
कपुतोँ का मै संहार करुँ,
आज मै रण करु,
नया एक प्रण करु..,
गउ,गीता और गंगा का मान बढाऊँ,
भारत को वो युग स्वर्णिम लौटाऊँ,
आज मै रण करु,
नया एक प्रण करु..,
संसार मे क्षत्रराज का ध्वज मै लहराऊँ,
प्रयासो को शासनधारीयो के मै निष्फल बनाऊँ,
आज मै रण करु,
नया एक प्रण करु..,
क्षत्रराज को पुन:स्थापित करना
मेरा एकमात्र लक्ष्य है,
सभी को ईस मार्ग पर प्रेरीत करना मेरा उद्देश्य है,
आज मै रण करु,
नया एक प्रण करु..,
धर्म के पथ पर चल अधर्म को मिटाना मेरा कर्तव्य है,
माँ के गौरव को विस्थापित करना मेरा ध्येय है,
आज मै रण करु,
नया एक प्रण करु..,
सदा रहुँगा मै,मेरे ईस प्रण पर कठोर,
निज धर्म के पालन मे रहुँगा मै सदा तत्पर,
आज मै रण करु,
नया एक प्रण करु..,
:-'अक्षय' कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया 'जिन्दादिल'
अपुर्ण युद्धो को आज पुर्ण करु,
आज मै रण करु..,
नया एक प्रण करु..,
मै दिव्य गुणोँ से ओतप्रोत राजपुत हुँ!
अपनी माँ का मैँ सच्चा सपुत हुँ!
आज मै रण करु,
नया एक प्रण करु..,
कर प्रण यह यल्गार भरुँ,
कपुतोँ का मै संहार करुँ,
आज मै रण करु,
नया एक प्रण करु..,
गउ,गीता और गंगा का मान बढाऊँ,
भारत को वो युग स्वर्णिम लौटाऊँ,
आज मै रण करु,
नया एक प्रण करु..,
संसार मे क्षत्रराज का ध्वज मै लहराऊँ,
प्रयासो को शासनधारीयो के मै निष्फल बनाऊँ,
आज मै रण करु,
नया एक प्रण करु..,
क्षत्रराज को पुन:स्थापित करना
मेरा एकमात्र लक्ष्य है,
सभी को ईस मार्ग पर प्रेरीत करना मेरा उद्देश्य है,
आज मै रण करु,
नया एक प्रण करु..,
धर्म के पथ पर चल अधर्म को मिटाना मेरा कर्तव्य है,
माँ के गौरव को विस्थापित करना मेरा ध्येय है,
आज मै रण करु,
नया एक प्रण करु..,
सदा रहुँगा मै,मेरे ईस प्रण पर कठोर,
निज धर्म के पालन मे रहुँगा मै सदा तत्पर,
आज मै रण करु,
नया एक प्रण करु..,
:-'अक्षय' कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया 'जिन्दादिल'
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