'न्याय का पर्याय'' मुंढाड चबूतरा , कलायत (हरियाणा)
शक संवत में मुंढाढ़ों के राजा साढ्देव ने कलायत को अपनी राजधानी बनाया और तीन सौ साठ गाँवों को अपने आधीन कर लिया.इसके बाद इसी वंश ने तीन सौ साठ गाँवों की छतीस बिरादरियों को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए मुग़ल शाशक औरंगजेब के शाशनकाल में बड़े मुंढाड चबूतरे की नींव रखी गई .जब भी इन गाँवों में किसी भी जाति वर्ग का विवाद होता था तो इस चबूतरे को साक्षी मानकर विभिन्न गाँवों के प्रतिनिधियों की पंचायत होती थी और फैसले किये जाते थे यही कारण है की आज भी इस चबूतरे को न्याय का पर्याय माना जाता है और इसे पुराने ज़माने की कचहरी कहा जाता है.
शक संवत में मुंढाढ़ों के राजा साढ्देव ने कलायत को अपनी राजधानी बनाया और तीन सौ साठ गाँवों को अपने आधीन कर लिया.इसके बाद इसी वंश ने तीन सौ साठ गाँवों की छतीस बिरादरियों को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए मुग़ल शाशक औरंगजेब के शाशनकाल में बड़े मुंढाड चबूतरे की नींव रखी गई .जब भी इन गाँवों में किसी भी जाति वर्ग का विवाद होता था तो इस चबूतरे को साक्षी मानकर विभिन्न गाँवों के प्रतिनिधियों की पंचायत होती थी और फैसले किये जाते थे यही कारण है की आज भी इस चबूतरे को न्याय का पर्याय माना जाता है और इसे पुराने ज़माने की कचहरी कहा जाता है.
जानकारी हेतु धन्यवाद...
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