विकृत ईतिहास-एक गहन चिँता का विषय....!
आज जो ईतिहास हम पाठ्यपुस्तकोँ एवं प्रतियोगी परीक्षाओँ के पुस्तकोँ मे पढते है उन मे विदेशी आक्रांताओ द्वारा विकृत ईतिहास को पढाया जाता है....!मेवाड के ताम्रपत्र एवं शिलालेखोँ मेँ यह उल्लेख मिलता है की सलुम्बर रावजी रतनसिँहजी चुंडावत की रानी,जो की हाडी रानी और उसकी सेनानी ईस कथा के लिए प्राख्यात है उनका नाम कई पुस्तिकाओँ मे सरोज कवंर था,जबकी शिलालेखोँ एवं ताम्रपत्रोँ के उल्लेख नुसार उनका नाम ईन्द्र कंवर था.....!
आज जो ईतिहास हम पाठ्यपुस्तकोँ एवं प्रतियोगी परीक्षाओँ के पुस्तकोँ मे पढते है उन मे विदेशी आक्रांताओ द्वारा विकृत ईतिहास को पढाया जाता है....!मेवाड के ताम्रपत्र एवं शिलालेखोँ मेँ यह उल्लेख मिलता है की सलुम्बर रावजी रतनसिँहजी चुंडावत की रानी,जो की हाडी रानी और उसकी सेनानी ईस कथा के लिए प्राख्यात है उनका नाम कई पुस्तिकाओँ मे सरोज कवंर था,जबकी शिलालेखोँ एवं ताम्रपत्रोँ के उल्लेख नुसार उनका नाम ईन्द्र कंवर था.....!
ऐसे कई उदाहरण
है,उन्ही मे से टिपु सुल्तान के बारे मे भी कई भ्रांतियाँ है...बारह हजार
हिँदुओँ को तलवार की धार पर ईस्लाम अपनाने के लिए मजबूर करने वाला टिपु
सुल्तान ईस देश मे महान कहा जाता है....!परीवर्तित न होने वाले हिँदुओँ को
मौत के घाट उतार कर भीषण रक्तपात कर सुल्तान की उपाधी धारण करने वाला टिपु
सुल्तान आज ईस देश मे महान कहा जाता है....!उस टिपु सुल्तान को आज
स्वतंत्रता समर का योद्धा घोषीत किया गया है......!बिकानेर के पृथ्वीराज
राठौड की शक्तावत रानी विरांगना किरन कंवर के संदर्भ मे भी एक कथा प्रचलित
है पर उसका ईतिहास मात्र मे कही उल्लेख नही है....!ईस कथा के मुताबिक भारत का तथाकथित महान बादशहा अकबर अपनी
राजव्यवस्था पर नजर रखने हेतु वेश बदलकर अपने राज्य का व्यवस्थापन देखा
करता था...!ईस बात मे कोई तथ्य नही है...!अकबर के फेस बदलने का उदेश्य
मात्र सिर्फ और परनारीयोँ पर अपनी क्रुर नजर बरसाकर उन्हे अपने हवस के जाल
फँसाना ही होता था...!एक दिन अकबर वेश बदलकर अपनी तथाकथित राजव्यवस्था के
निरीक्षण हेतु निकला,वहाँ से वो कीसी मेले मे गया,मेले मे घुमते समय अकबर
की नजर एक चुडीयोँ की दुकान पर गई जहाँ पृथ्विराज राठौड कि रानी चुडियाँ
खरीदने हेतु अपनी वेशभुषा बदलकर आई थी...!महारानी सा के तेज,सौंदर्य ने
अकबर के अंदर के वहशी दरीँदे को जगा दिया था...!जब मेले से बहार निकलकर
अकबर विरांगना किरन कंवर तक पहुँचा तब ईस सिसोद वंशी क्षत्राणी ने अपनी
म्यान से खड्ग निकालकर अकबर पर प्रहार किया पर अकबर बच निकला और वहाँ से
किसी कुत्ते की तरह दुम दबाकर भागा....!
ईतिहास की ये कथा अपने आप मे एक सच्ची घटना है...,जिसे कुछ समाज विरोधी एवं विदेशी आक्रतांओ ने ईस कथा को विलुप्त कर दिया है....!ऐसी ही अनेक घटनाएँ है ईतिहास मे जिनका कभी भी उल्लेख नही है या फिर ईन ऐतिहासिक कथाओँ को,घटनाओँ को ईतिहास से विलुप्त कर दिया गया है या फिर ईन घटनाओँ को विकृत कर समाज की छवीँ बिगाडने का षडयंत्र रचाया गया है....!आज हम ईन विदेशी लेखकोँ द्वारा लिखीत झुठे ईतिहास को पढते है जो अब न तो प्रेरणा लेने के तक काबिल न रहा है....!हमारे पुर्वजोँ ने ईस देश के रक्षणार्थ अपने रक्त को बहाया था,अपने प्राणोँ की आहुति दि थी,उनकी छवीँ बिगाडने का प्रयास अत्यंत जोरो से शुरु है और सफल होता हुआ प्रतीत हो रहा है...!आज का एक युवा क्षत्रिय ईन सभी तत्थ्योँ से अंजान रहकर अपने कर्तव्योँ से विमुढ हो रहा है...!
ईतिहास की ये कथा अपने आप मे एक सच्ची घटना है...,जिसे कुछ समाज विरोधी एवं विदेशी आक्रतांओ ने ईस कथा को विलुप्त कर दिया है....!ऐसी ही अनेक घटनाएँ है ईतिहास मे जिनका कभी भी उल्लेख नही है या फिर ईन ऐतिहासिक कथाओँ को,घटनाओँ को ईतिहास से विलुप्त कर दिया गया है या फिर ईन घटनाओँ को विकृत कर समाज की छवीँ बिगाडने का षडयंत्र रचाया गया है....!आज हम ईन विदेशी लेखकोँ द्वारा लिखीत झुठे ईतिहास को पढते है जो अब न तो प्रेरणा लेने के तक काबिल न रहा है....!हमारे पुर्वजोँ ने ईस देश के रक्षणार्थ अपने रक्त को बहाया था,अपने प्राणोँ की आहुति दि थी,उनकी छवीँ बिगाडने का प्रयास अत्यंत जोरो से शुरु है और सफल होता हुआ प्रतीत हो रहा है...!आज का एक युवा क्षत्रिय ईन सभी तत्थ्योँ से अंजान रहकर अपने कर्तव्योँ से विमुढ हो रहा है...!
आज हमे उन्ही पुरखोँ के सन्मान हेतु
विचार करना ही होगा ,आज इन्ही आक्रंताओ द्वारा लिए इतिहास को पढकर देश के
तथाकथित महान शासकोँ (शोषको) को महान घोषित किया गया है और सही मायने मे ईस
देश के जो शासक थे,तानाशाह थे,ईस धरा के लिए अपना जीवन व्यथित करने वाले
वीरोँ को सिर्फ अपने राज्य का हितचिँतक बताया जाता है...आज जहाँ वहशी
दरीँदो(शोषकोँ) को महान कहा जाता है वहीँ दुसरी ओर क्रांतिसुर्यो अपने ही
राज्य का हितैशी बताकर उनके द्वारा किए गए संघर्षो को गैर जिम्मेदाराना
हरकत कहकर, उनकी छवीँ खराब कर समाज एवं राष्ट्र की दिशाभुल कर युवाओँ के अंदर महान क्रांतिकारी दिग्गजोँ
के प्रति घृणा को जन्म दिया जा रहा है....!आशा है मेरे ईस लेख को पढकर आज
का युवा अपनी गहरी निंद्रा को त्यागेगा....!
जय जय माँ भारती!
ईन्कलाब जिँदाबाद!!
जय जय माँ भारती!
ईन्कलाब जिँदाबाद!!
:-कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया 'जिन्दादिल'
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