शोभना सम्मान-2012

Tuesday, April 24, 2012

राष्ट्रधर्म पर्मोधर्म भवे....!



                                                             राष्ट्रधर्म पर्मोधर्म भवे....!
                                                             ||इदं राष्ट्राय इदन्न मम||

                                      ईतिहास गवाह के राजपूतोँ के ईस राष्ट्र पर शासन काल मे ईस राष्ट्र ने किर्ती के उँचे शिखरोँ को छुआ है....!जिन वीर क्षत्रियोँ के वंशज कहलाने मे हमे गर्व की अनूभुती होती है..,उन्हीँ के वंशज आज अपने कर्तव्य से कोसो दुर है...!जिन-जिन महान क्षत्रियोँ का नाम आज अमर है,उन सभी का ध्येय राष्ट्रधर्म ही था....!वे अपने ईस धर्म के प्रति सदैव ही कर्तव्य परायण रहे है....!एक क्षत्रिय कुल मे जन्म लेने से हमारा ईस राष्ट्र की महान धरोहर,संस्कृति का रक्षण करना परम कर्तव्य है....!जिस सरजमीन पर हमने जन्म लिया,जहाँ हमने चलना,उठना-बैठना,खाना-पीना,बोलना सिखा अर्थात जिसके नाम मात्र के उल्लेख बिना हमारा अस्तित्व शुण्य है,जिसके बिना हमारी कोई पहचान नही है,जिसके गर्भ से उत्पन्न अन्न खाकर,पानी पीकर हम अपना उदारनिर्वाह करते है,वह भुखंड हमारी माँ नही तो क्या है....?ईसीलिये राष्ट्र को मातृभूमी कहा जाता है....!
"उपर जिसका अंत नही उसे आसमाँ कहते है.....!
जग मे जिसका अंत नही उसे माँ कहते है.....!"

                                          माँ के आँचल पर आज आँच आती हुइ दिखाई दे रही है.....!आज हमारी माँ भारती का राजनेताओँ द्वारा शोषण किया जा रहा है..,,हमारी माँ भारती के आँचल पर राजनेताओँ द्वारा सरेआम बलात्कार किया जा रहा है और उस माँ के बेटे शांत है, क्युँ..?आखिर क्योँ हम सभी से वो वीर रस ओझल हो रहा है....?दंड के पात्र सभी राजनेताओँ का अस्त कर दोँ,लेकीन प्रजातांत्रिक तरीके से.....!आप की माँ भारती के आँचल पर जिसने भी हाथ डाला है,उखाड फेकोँ उन हाथोँ को.....!यह कहने का मेरा आशय है की उन सभी राजनेताओँ के तलवे चाटना बंद कर सरकारे बदलने की तैयारीयाँ करो....!आज माँ भारती के पैरोँ मे ईन राजनेताओ ने अनेक बेडीयाँ बाँध दी है,उन राष्ट्र विरौधी बादशहाओ का अस्त करने के लिए सम्राट बनो....!विराट भारत मेँ कई युवा आपको ऐसे मिलेँगे जो सीने मे ज्वाला लिए बैठे है....!बस उन्हे पहचानकर एक सशक्त संगठन की नीँव रखकर,किसी भी राजनैतिक पार्टी का मोह छोडकर, कार्यरत हो कर सीरत और सुरत बदल डालो ईस देश की....!जिस धरा पर असंख्य वीरोँ और विरांगनाओँ ने अपने प्राणोँ की आहुती दि थी वे सभी हमारे ही पुर्वज है...!जिन पर हमे सदा गर्व है उन्ही का रक्त हमारी शोनित नलिकाओ मे बह रहा है....!वही वीर रह हर क्षत्रिय मे जन्म से है...नही है तो सिर्फ भावना....राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना को सदृढ करो....!
"हो दया का भाव या की,
शौर्य का चुनाव या की,
हार का हो घाव तुम ये सोच लो..."
                                            सच्चा कार्यकर्ता वही होता है जो राष्ट्र के प्रती ,समाज के प्रती दया के भाव से कार्य न करे...त्यागी एवं बलिदानी बन कर निस्वार्थी रुप से कार्य कर अपने एक आदर्श कार्यकर्ता,क्षत्रिय होने का प्रमाण देकर समाज एवं राष्ट्र की सुरत एवं सीरत बदलने की ओर अपने कदमोँ को बढाए....!आज युग गणतंत्र का है,आज कीसी से तलवारो से लोहा लेने का जमाना नही रहा.....,याद रखे अर्जुण को चक्रव्ह्यु तोडने के उसमे जाना ही पडा था...,राजपुतोँ के खिलाफ राजनैतिक पार्टीयोँ ने अच्छा खासा षडयंत्र रचकर समाज एवं राष्ट्र को क्षिण किया है....!अब वक्त आ गया है जब हमेँ अपने राष्ट्र के साथ, हुए अन्यायो का बदला लेने का...!मेरे युवा मित्रो,आज सबकुछ आप पर ही निर्भर है...,हम युवाओ मे ही वह शक्ती है जिससे हम ईस राष्ट्र का,समाज का कल्याण कर सकते है तो आओ मिलकर ईस राष्ट्र का,समाज का पुन:निर्माण करने हेतु अपने आप को अग्रेसर करे.....!याद रखे जीवन मे अशक्य कुछ भी नही है..., शिखर तक पहुँचने के लिए खुद के कर्तुत्व पर विश्वास रखकर,योग्य मार्ग से अथक प्रयास करना जरुरी होता है......! 

राष्ट्रधर्म परमोधर्म भवे ईस उद्देश्य को लेकर आगे बढे....!
 


:-कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया 'जिन्दादिल'

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