***शंखनाद***
सुनो वीरो,माँ भारती ने तुम्हे आज पुकारा है!!
अब ईस धरा का बदलना नजारा है!!
आओ मिलकर शंखनाद करे!
ऐसी हो सेना के सारे भ्रष्ट डरे!!
जो बेडीयाँ माँ के कदमोँ मे है,
उन्हे आज तोडना है!
सारे राष्ट्रवादियोँ को एक कडी मे जोडना है!!
आओ मिलकर शंखनाद करे!
ऐसी हो सेना के सारे भ्रष्ट डरे!!
फिर नयी सुबह होगी,
यह प्रण हमारा है!
'राष्ट्रहित सद सर्वोपरी' यह हमारा नारा है!!
आओ मिलकर शंखनाद करे!
ऐसी हो सेना के सारे भ्रष्ट डरे!!
एक-एक नेता को,
अब देना पडे जवाब!
क्या क्या कर्म है,उनके लाजवाब!!
आओ मिलकर शंखनाद करे!
ऐसी हो सेना के सारे भ्रष्ट डरे!!
कोई नग्नता है रहा फैला !
तो कोई कर रहा है घोटाला!!
आज करे हम यह प्रण!
करेँगे राष्ट्सेवा हरदम!!
आओ मिलकर शंखनाद करे!
ऐसी हो सेना के सारे भ्रष्ट डरे!!
कवी 'अक्षय' लगा रहा है गुहार तुम्हे!
माँ भारती की वह सुना रहा है पुकार तुम्हे!!
सुनो वीरो,माँ भारती ने तुम्हे आज पुकारा है!!
अब ईस धरा का बदलना नजारा है!!
:-'अक्षय' कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया 'जिन्दादिल'
सुनो वीरो,माँ भारती ने तुम्हे आज पुकारा है!!
अब ईस धरा का बदलना नजारा है!!
आओ मिलकर शंखनाद करे!
ऐसी हो सेना के सारे भ्रष्ट डरे!!
जो बेडीयाँ माँ के कदमोँ मे है,
उन्हे आज तोडना है!
सारे राष्ट्रवादियोँ को एक कडी मे जोडना है!!
आओ मिलकर शंखनाद करे!
ऐसी हो सेना के सारे भ्रष्ट डरे!!
फिर नयी सुबह होगी,
यह प्रण हमारा है!
'राष्ट्रहित सद सर्वोपरी' यह हमारा नारा है!!
आओ मिलकर शंखनाद करे!
ऐसी हो सेना के सारे भ्रष्ट डरे!!
एक-एक नेता को,
अब देना पडे जवाब!
क्या क्या कर्म है,उनके लाजवाब!!
आओ मिलकर शंखनाद करे!
ऐसी हो सेना के सारे भ्रष्ट डरे!!
कोई नग्नता है रहा फैला !
तो कोई कर रहा है घोटाला!!
आज करे हम यह प्रण!
करेँगे राष्ट्सेवा हरदम!!
आओ मिलकर शंखनाद करे!
ऐसी हो सेना के सारे भ्रष्ट डरे!!
कवी 'अक्षय' लगा रहा है गुहार तुम्हे!
माँ भारती की वह सुना रहा है पुकार तुम्हे!!
सुनो वीरो,माँ भारती ने तुम्हे आज पुकारा है!!
अब ईस धरा का बदलना नजारा है!!
:-'अक्षय' कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया 'जिन्दादिल'
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