शोभना सम्मान-2012

Monday, April 30, 2012

कविता: तूफानों की ओर घुमा दो नाविक पतवार

आज सिंधु ने विष उगला है
लहरों का यौवन मचला है
आज हृदय में और सिंधु में
साथ उठा है ज्वार

तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार |

लहरों के स्वर में कुछ बोलो
इस अंधड़ में साहस तोलो
कभी कभी मिलता जीवन में
तूफानों का प्यार

तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार |
शिवमंगल सिंह ''सुमन''
जय जय वीर राजपूताना (कुंवर अमित सिंह)

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