!!क्षत्रिय!!
रक्षा मेरा कर्म है!
त्याग मेरा धर्म है!!
विजयश्री मेरा लक्ष्य है!
पथ मेरा सत्य है!!
जन्म लेता हुँ मै!
किसी उद्देश्य से!!
सभी को राष्ट्रभक्ती का!
देना आज उपदेश है!!
ईस उपदेश पर!
सदा रहता मै कठोर!!
करता मै ईसका नित पालन!
मातृ-भु के लिए , प्रेम बटौर!!
निज-स्वार्थ से रहता मै कोसोँ दुर!
यही है हम क्षत्रियो का नूर!!
धर्म की बलिवेदी पर!
दी पुर्वजोँ ने हमारे जान!!
तो क्योँ हम न रखे कोई कसर?
बढाने मे उनका मान!!
प्रगती के पथ पर चलना है सदा!
चाहे आए कोई भी बाधा!!
झुठी प्रगती से है न,
कोई लेना देना!
कहे ईस दुनिया के पक्षी सबसे सुंदर राघो-मैना!!
जब जब हम उतरे है रण!
कहे धरणी का कण कण!!
कर मुझे ईस क्षत से!
हे धरती पुत्र तु मक्त!!
:-'अक्षय' कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया 'जिँदादिल'
उत्तम विश्व ,,जय राजपूताना
ReplyDelete,,जय राजपूताना
ReplyDeleteरक्षा क्रमस्य
ReplyDeleteत्याग धर्मस्य
विजयश्री लक्ष्य
क्षत्री पथ सत्य ....
जय राजपूताना
ReplyDeleteजय राजपूताना
ReplyDeleteplease also have a look to
ReplyDeletehttp://www.sisodiyavishwajeetsingh.blogspot.com